Cluster Development Plan implementation in Mira Bhayandar
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मीरा भायंदर में 32 बस्तियों में Cluster विकास योजना के इम्प्लीमेंटेशन के लिए प्रस्ताव

Bhayandar: महानगर पालिका ने मीरा भायंदर में 32 शहरी बस्तियों में क्लस्टर (Cluster) विकास योजनाओं के इम्प्लीमेंटेशन पर एक सर्वे रिपोर्ट जारी किया है। इन 32 बस्तियों के अन्तर्गत 1 हजार 531 एकड़ ज़मीन पर सामूहिक विकास (Cluster) के अन्तर्गत विद्यमान पुराने भवनों, मकानों, चालियों, झोपड़पट्टियों को तोड़कर नवीन भवनों का निर्माण प्रस्तावित है। ऐसा माना जा रहा है की इससे शहर के हजारों परिवारों को राहत मिलेगी।

मीरा भायंदर शहर का भायंदर पूर्वी इलाका सबसे घनी आबादी वाला इलाका है। भायंदर पश्चिम में भी यही स्थिति है। पहले से ही पुराने भवनों का निर्माण अवैध रूप से किया जा रहा है और कारपेट एरिया का निर्माण मानक से अधिक किया जा चुका है। इसके अलावा, कई इमारतों को डेवलपर द्वारा भूमि का स्वामित्व अधिकार (Owner’s rights) नहीं दिया गया है। इससे यहां पुनर्विकास (Redevelopment) की समस्या गंभीर हो गई है। मनपा ने कई भवनों को खतरनाक बताकर तोड़ दिया, लेकिन इन भवनों का पुनर्विकास नहीं हो पा रहा है, इसलिए रहवासी सड़कों पर आ गए हैं। नए भवनों का निर्माण करते समय भी अनाधिकृत निर्माण से रहवासियों को काफी परेशानी हो रही है।

शहर में पुरानी, ​​खतरनाक और अनाधिकृत इमारतों (illegal buildings) के साथ-साथ अनाधिकृत झुग्गि झोपड़ियों (encroachment) का साम्राज्य बड़े पैमाने पर खड़ा है। इसमें कोई दो राय नहीं है की ये प्रशासन और राजनेताओं की मिलीभगत से हुआ है। वोट के लिए झुग्गि झोपड़ियों को सभी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं और निजी भूमि के साथ-साथ सरकारी भूमि (Government’s Land) पर भी कुकुरमुत्ता की तरह जम जाती हैं।

क्लस्टर विकास योजना

विधायक प्रताप सरनाईक और गीता जैन ने क्लस्टर (Cluster) विकास योजना के माध्यम से शहर में पुरानी इमारतों को विकसित करने के लिए सरकार से लगातार पत्र व्यहवार किया था क्योंकि उन्हें स्वतंत्र रूप से पुनर्विकास करना संभव नहीं था।

तत्कालीन सरकार ने 2 दिसंबर, 2020 को एक अधिनियम पास किया था जिसके तहत अनाधिकृत आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक सहित विद्यमान खतरनाक भवनों, मलिन बस्तियों, चालियों तथा सार्वजनिक, अर्द्धसार्वजनिक सुविधाओं आदि पर रोक लगाने का निर्देश जारी किया है।

आयुक्त दिलीप ढोले ने मीरा भायंदर शहर में समूह विकास योजना को लागू करने के लिए एक स्पेशलिस्ट कंसलटेंट फर्म की नियुक्ति की है। योजना को तीन चरणों में लागू किया जाएगा। कंसल्टिंग कंपनी (Consulting Firm) ने सर्वे (Survey) कर योजना तैयार की है कि शहर में 32 समूह विकास योजनाओं को लागू किया जा सकता है। इस योजना के तहत 1 हजार 531 एकड़ का रकबा आएगा। भवन के 52 प्रतिशत निवासियों को अपने डेवलपर को चुनने के लिए सहमत होना जरूरी होगा। इन योजनाओं को अंतिम रूप देकर गजट में प्रकाशित किया जाएगा। आयुक्त दिलीप ढोले ने कहा है कि योजना का पहला चरण पूरा हो चुका है और दूसरे चरण का काम शुरू किया जाएगा.

समूह विकास योजना कहाँ और कितने क्षेत्रफल में क्रियान्वित की जायेगी?

1) दचकुल पाड़ा (27.7 हेक्टेयर), 2) माशा पाड़ा (14.7 हेक्टेयर), 3) मांडवी पाड़ा (19.19 हेक्टेयर), 4) राय शिवनेरी नगर (5.54 हेक्टेयर), 5) महाजन वाडी (12.16 हेक्टेयर), 6) काशीमीरा (6.34 हेक्टेयर), 7) काशीगांव (1.87 हेक्टेयर), 8) एजी नगर (8.76 हेक्टेयर), 9) पेनकर पाडा (43.98 हेक्टेयर), 10) म्हाडा कॉलोनी (1.04 हेक्टेयर), 11) खारीगांव (25.24 हेक्टेयर), 12) नवघर गांव (27.24 हेक्टेयर), 13) वेंकटेश्वर नगर (35.1 हेक्टेयर), 14) भारत नगर (40.5 हेक्टेयर), 15) आशा नगर (52.1 हेक्टेयर), 16) भायंदर साठफुट रोड (28.38 हेक्टेयर), 17) गणेश देवल नगर (18.15 हेक्टेयर), 18) शशिकांत नगर (3.93 हेक्टेयर), 19) चंदूलाल पार्क (4.98 हेक्टेयर), 20) संत जलाराम नगर (4.49 हेक्टेयर), 21) मुर्धा खादी (5.81 हेक्टेयर), 22) मुर्धा गांव (21.77 हेक्टेयर) ), 23) कुम्भरदा (4.91 हेक्टेयर), 24) तरोड़ी-डोंगरी (23.96 हेक्टेयर), 25) ध्वजी बस्ती (6.27 हेक्टेयर), 26) चौक (25.76 हेक्टेयर), 27) पाली (47.38 हेक्टेयर), 28) करई पाड़ा ( 26.5), 29) उत्तन नाका (2.06) और 30) देव झील (26.16 हेक्टेयर)।

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