Bangladesh in Bhayandar, Bangladesh,
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ना वीज़ा ना पासपोर्ट कराओ, बोले तो सीधा ‘बंग्लादेश’ आओ!

भायंदर में स्थित है ‘बांग्लादेश’ Bangladesh! प्रशासनिक लापरवाही से आधार कार्ड, टैक्स बिल, बस स्टॉप पर भी मेंशन है.

Mira Road: बंग्लादेश (Bangladesh) जाने आने के लिए टिकट के साथ साथ पासपोर्ट और वीज़ा जैसे अहम दस्तावेज़ बहुत ज़रूरी है। हालांकि, हमने बहुत सारे बंग्लादेशियों को मीरा भायंदर में अवैध तरीके से रहते हुए भी देखा है। बांग्लादेशी मर्द को कंस्ट्रक्शन साइट्स पर मज़दूरी और औरतों तो घर का काम करती हुई आम तौर पर इस इलाके में दिख जाएँगी। गौरतलब, हो की पुलिस कुछ समय के अंतराल पर कुछ बांग्लादेशियों को पकड़कर वापस भेजती भी है. हालांकि अब जो जानकारी सामने आ रही है वह आपको और भी चौंका देगी। आपको ये जानकार हैरानी होगी की ‘बांग्लादेश’ (Bangladesh) भायंदर इलाके में ही स्थित है। हां, आपने सही पढ़ा है। भायंदर में एक जगह का नाम बदलकर बांग्लादेश कर दिया गया है। इतना ही नहीं, सरकारी दस्तावेजों पर भी बांग्लादेश का जिक्र है। अब इसे प्रशासनिक लापरवाही कहें या कुछ और ?

क्या है मामला?

भायंदर पश्चिम के उत्तन-चौक इलाके में बांग्लादेश नाम का एक मोहल्ला है। विदेश से आए विस्थापित नागरिकों के कारण इस स्थान को पहले बांग्लादेश का उपनाम दिया गया था। हालाँकि, अब एक नया विवाद शुरू हो गया है क्योंकि मीरा भायंदर महानगर पालिका के बहुत ही ‘ईमानदार’ (अखिलेश यादव वाला ईमानदार) अधिकारियों ने आधार कार्ड, प्रॉपर्टी टैक्स और यहाँ तक कि MBMT परिवहन के बस स्टॉप पर भी इस जगह का नाम आधिकारिक तौर पर बांग्लादेश रख दिया है। इन सब के चलते गांव का असली नाम कहीं खो गया है।

जैसा की आपको मालूम है, भायंदर पश्चिम का उत्तन इलाका एक तटीय क्षेत्र है। इसलिए इस स्थान पर मछुआरों के गाँव हैं। पहले से ही इस तट पर बड़े पैमाने पर मछली पकड़ने के कारण यहाँ के नागरिक आर्थिक रूप से संपन्न हो गए थे। इससे इस क्षेत्र में तेजी से बाजार और नई सुविधाओं का निर्माण हुआ। इतने सारे नागरिक यहां काम पाने के लिए आने लगे। इसमें विदेश के लोग भी शामिल हैं। समय के साथ ये लोग उत्तन में चौक के पास खुले इलाकों में छोटे-छोटे घरों में रहने लगे। ज्यादातर लोग बंगाल और बांग्लादेश से आकर काम कर रहे थे तो यहाँ का नाम बांग्लादेश बोला जाने लगा।

अनौपचारिक औपचारिक हो गया?

दुर्भाग्य से, तब से इलाके को इसी नाम से पहचान मिल गई। हालाँकि, यह कोई औपचारिक नाम नहीं है। पर हमारे हाथ कुछ डाक्यूमेंट्स आये है जिससे पता चला है कि सरकारी कागज़ात पर ‘आधिकारिक’ तौर पर इस इलाके को ‘बांग्लादेश’ नाम दे दिया गया है। क्योंकि इस जगह में रहने वाले नागरिकों के आधार कार्ड पर पते के साथ-साथ MBMC के प्रॉपर्टी टैक्स के बिल में ‘बांग्लादेश’ का उल्लेख है। इतना ही नहीं इस स्थान पर MBMT परिवहन सेवा के बस स्टॉप पर भी बांग्लादेश लिखा हुआ है। अब इसे प्रशासनिक लापरवाही कहें या कुछ और। मूल रूप से भारतीय होते हुए भी लोगों को बांग्लादेशी कहने पर लोग नाराज़ हो जाते हैं।

तीन जगह हैं बांग्लादेश

भायंदर (पश्चिम) में तीन क्षेत्रों को सरकारी और महानगरपालिका दस्तावेजों में ‘बांग्लादेश’ के रूप में संदर्भित किया गया है। उत्तन, चौक और नेताजी सुभाष चंद्र बोस मैदान के पीछे की कॉलोनियों को 35 साल से ‘बांग्लादेश’ कहा जाता है।

एमबीएमसी ने अब सरकार से सरकारी रिकॉर्ड से ‘बांग्लादेश’ शब्द हटाने और निवासियों को नए दस्तावेज जारी करने की मांग की है। यह मुद्दा कुछ दिन पहले तब उठा था जब एमबीएमसी ने ‘बांग्लादेश’ पते के साथ जन्म प्रमाण पत्र जारी किया था। इससे पहले, नालासोपारा (पूर्व) में संतोष भुवन के निवासियों ने MSEB के बिजली बिलों में छोटा पाकिस्तान शब्द के पते पर आपत्ति जताई थी।

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