मीरा-भायंदर महानगर पालिका में दो क्रेडिट यूनियनों के विवाद को हाईकोर्ट ने सुलझा दिया है और उसपर अपना फैसला भी सुना दिया है। नए पंजीकृत क्रेडिट बैंक को अपना नाम बदलना होगा ताकि वो एक अलग पहचान बना सके। साथ ही, अदालत ने फैसला सुनाया है कि उन्हें 1 जून, 2023 से अपना कारभार शुरू करना चाहिए। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद, मीरा-भाईंदर मनपा में दो कर्मचारी क्रेडिट फंड काम करते रहेंगे।
यह फैसला जस्टिस नितिन जामदार की बेंच ने दिया। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि नया पतपेढी पुराने पतपेढी के 110 सदस्यों का रजिस्ट्रेशन रद्द करे. कोर्ट ने नए क्रेडिट फंड के पंजीकरण को रद्द करने के विभागीय सह रजिस्ट्रार और सहकारिता मंत्रालय के आदेश को भी रद्द कर दिया है।
मिरा भाईंदर महानगरपालिका श्रमिक सहकारी कर्मचारी सहकारी पतसंस्था लि. ने हाई कोर्ट में अर्जी दी थी। विभागीय सह निबंधक, कोकण विभाग, उप निबंधक, सहकार, मिरा भाईंदर पालिका कर्मचारी सहकारी पतपेढी व सहकार मंत्रालय को इसमें प्रतिवादी बनाया गया था।
क्या है मामला
मीरा भायंदर महानगर पालिका के कर्मचारी याचिकाकर्ताओं के सदस्य हैं। जबकि प्रतिवादी मिरा भाईंदर पालिका कर्मचारी सहकारी पतपेढी भी कर्मचारियों का क्रेडिट फंड है। यह क्रेडिट बैंक 1995 में स्थापित किया गया था। जबकि याचिकाकर्ता क्रेडिट फंड का पंजीकरण 31 जनवरी 2017 को हुआ था। इस क्रेडिट फंड के कार्यालय के लिए मनपा में जगह भी दी गई थी। 20 मई, 2019 को मनपा ने नए पतपेढी के सदस्यों के वेतन से शेयरों की राशि और ऋण की किस्तों की कटौती करने की भी अनुमति दी। याचिकाकर्ता सोसायटी के 110 सदस्य पहली वाली सोसायटी के सदस्य थे।
इसके खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने सहकारिता मंत्री से गुहार लगाई थी। सहकारिता मंत्री ने याचिकाकर्ताओं की मांग को खारिज कर दिया। दोनों क्रेडिट फंड के नाम में सिर्फ ‘श्रमिक’ नाम का अंतर है। यदि एक ही प्रतिष्ठान में दो पतपेढी हैं, तो यह कर्मचारियों के लिए भी एक समस्या हो सकती है, इससे राजनीतिक दबाव भी हो है, ऐसा सहकारिता मंत्रालय ने कहा
अंतत: याचिकाकर्ताओं ने 15 जुलाई 2022 को हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 602 कर्मचारी प्रतिवादी पतपेढी के सदस्य नहीं हैं। इसलिए एक और पतपेढी स्थापित करने का अवसर है। साथ ही, नए पतपेढी द्वारा क्रेडिट फंड स्थापित करने के मानदंडों को पूरा किया गया है। नतीजतन, नए पतपेढी के पंजीकरण को रद्द करने के सह-रजिस्ट्रार के आदेश और सहकारिता मंत्रालय द्वारा इस आदेश पर लगाए गए मुहर दोनों को अदालत द्वारा रद्द कर दिया गया है। साथ ही नए पतपेढी को अपना नाम बदलने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि उनकी अलग पहचान बनाई जाए।