Mira Road: मीरा भायंदर वसई विरार पुलिस ने उत्तराखंड के बागेश्वर Bageshwar जिले से दो भाइयों को गिरफ्तार कर 15 साल पुराने हत्या के मामले को सुलझाने का दावा किया है। 13 दिसंबर, 2007 की सुबह, वसई के मानिकपुर पुलिस थाने की सीमा की हद्द में, मुंबई-अहमदाबाद राजमार्ग पर एक व्यक्ति का शव मिला, जिस पर चाकू के 30-35 घाव थे।
बाद में उनकी पहचान संजय विनोद झा (32) के रूप में हुई, जो एक कपड़ा कारखाने के उत्पादन प्रबंधक (Product Manager) के रूप में काम करता था।
मीरा-भायंदर वसई-विरार पुलिस के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक प्रमोद बदाख ने कहा कि ठाणे ग्रामीण से आयुक्तालय बनने के बाद बंद पड़ी पुरानी फाइलों को खोला जा रहा है। इसके तहत एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। पुलिस तकनीकी और खुफिया जानकारी एकत्र कर रही है। इसी मुहीम में हम १५ साल पुराने एक केस में इन दोनों भाइयों पर हमारी सुई जा कर अटक गयी।
बदाख ने बताया कि दोनों संदिग्धों पूरनसिंह प्रतापसिंह उन्योनी उर्फ पूरनसिंह कपूरसिंह परिहार (41) और मोहनसिंह प्रतापसिंह उनयोनी उर्फ मोहनसिंह कपूरसिंह परिहार (38) को 20 मार्च को उत्तराखंड के बागेश्वर (Bageshwar) से गिरफ्तार किया गया था। सख्ती से पूछताछ के दौरान भाइयों ने क्राइम ब्रांच यूनिट ३ को बताया कि उन्होंने झा की हत्या पैसे के विवाद को लेकर की थी। उन्होंने कहा कि पिछले 15 सालों में वे गिरफ्तारी से बचने के लिए कभी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी रहे।
हत्या करने के बाद untraceable
“झा की हत्या करने के बाद, हत्यारे एक अज्ञात स्थान पर भाग गए थे और वे untraceable थे। हाल ही में हमें पता चला था कि हत्यारे अक्सर उत्तराखंड में अपने गांव आते जाते रहते हैं। इनपुट्स के आधार पर हमारी टीम ने स्थानीय पुलिस अधिकारियों की मदद से उन्हें गिरफ्तार किया है। इस मामले में दो और आरोपी वांटेड हैं। Bageshwar in Uttarakhand
चार लोगों ने झा की हत्या कर दी थी क्योंकि मृतक ने उन्हें लोन दिलाने में मदद करने का वादा किया था। कर्ज न मिलने पर हत्यारों ने 2007 में योजना बनाई, 12 दिसंबर की शाम को झा को बुलाया और साथ में शराब पी।
ड्रिंक पार्टी के दौरान, उनके बीच गरमागरम बहस हुई और उन्होंने कथित तौर पर झा का गला घोंट दिया और एक पत्थर से उसके चेहरे को कुचल दिया और शव को मुंबई-अहमदाबाद राजमार्ग के पास फेंक कर फरार हो गए थे। झा के भाई ने दूसरे दिन ही कनकिया मीरा रोड पुलिस स्टेशन में मिसिंग कंप्लेंट लिखाई थी। उसी दिन मानिकपुर पुलिस स्टेशन की हद्द में शव बरामद हुआ था।
पुराने मामले खंगाल रही पुलिस
क्राइम ब्रांच जटिल मामलों की पुरानी फाइलों को खंगाल रही है, जिन्हें कई कारणों से उनके पूर्ववर्तियों द्वारा हल नहीं किया गया था। एमबीवीवी पुलिस के रूप में नए आयुक्तालय के गठन के बाद, इसके पहले प्रमुख सदानंद दाते ने क्राइम ब्रांच को अनसुलझे मामलों में आरोपियों को गिरफ्तार करने का सुझाव दिया था।
डीसीपी (क्राइम) अविनाश अंबुरे और एसीपी अमोल मांडवे की देखरेख में, अपराध शाखा यूनिट-3 का नेतृत्व बदाख और उनकी टीम के सदस्य शिवाजी खाड़े, उमेश भागवत, कांस्टेबल अशोक पाटिल, मुकेश तटकरे, शंकर शिंदे, सचिन घेरे, सागर बारावकर, मनोज सकपाल, अश्विन पाटिल और अन्य ने हत्या के इस पुराने मामले को सुलझाया है।