वॉकहॉर्ड हॉस्पिटल्स (Wockhardt Hospitals) के डॉक्टरों की मदद से दुर्लभ ताकायसु आर्टेराइटिस (Takayasu Arteritis) से पीड़ित एक 28 वर्षीय महिला ने 2.4 कि.ग्रा. वज़न के एक स्वस्थ बच्चे को सफलतापूर्वक जन्म दिया।
शीतल शाह (बदला हुआ नाम), जो की एक गृहिणी हैं और भायंदर में रहती हैं, अपनी पहली गर्भावस्था को लेकर बहुत उत्साहित थी, जैसा की सारी महिलाऐं होती हैं। लेकिन उनकी ख़ुशी ज़्यादा समय तक नहीं रह पायी क्यूंकि गर्भावस्था के पहले ही ट्रिमस्टर में ही उन्हें ताकायसु आर्टेराइटिस (Takayasu Arteritis) नामक एक दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त होने का पता चला। उनके निरंतर ब्लड प्रेशर के साथ साथ दोनों हाथों में असामान्य पल्स थी, जो की फ्लुक्टुअट हो रही थी। उसमें आगे महाधमनी का संपीडन (Coarctation of Aorta) भी पाया गया जिसके चलते उसे प्रेगनेंसी discontinue करने की सलाह दी गई क्योंकि इससे उसके जीवन को खतरा हो सकता था।
डॉ. राजश्री तेयशेते भसाले, सलाहकार स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ, लेप्रोस्कोपिक सर्जन, वॉकहार्ट अस्पताल (Wockhardt Hospitals) ने कहा, “मरीज गर्भावस्था के 9 महीने में दाहिने हाथ में 190/110 और बाएं हाथ में 120/90 ब्लड प्रेशर के साथ इमरजेंसी वार्ड में आई थी। उसे ताकायसु आर्टेराइटिस (Takayasu Arteritis) थी जो लार्ज वेसल inflammation बीमारी होती है। यह disorder का एक ग्रुप है जो रक्त वाहिका सूजन का कारण बनता है, और मुख्य रूप से महाधमनी (Aorta) को प्रभावित करता है। उच्चरक्तचापरोधी दवा चलने के बावजूद भी उसके पैरों की पल्स नहीं थीं, इसे हम pulseless disease भी कहते हैं। उसके ईको ने माइट्रल रेगुर्गिटेशन के साथ साथ Coarctation of Aorta दिखाया।
बहुत मुश्किल था
डॉ. राजश्री तेयशेते ने आगे कहा, ”उचित परामर्श के बाद कार्डिएक एनेस्थीसिया टीम के साथ इलेक्टिव LSCS किया गया। डॉ. रूपा मेपानी और डॉ. केदारेश्वर पोटे ने कहा, हम 2.4 किलोग्राम के बच्चे को जन्म देने में सफल रहे। सर्जरी के बाद की अवधि में, रोगी की ICU में निगरानी की गई थी, जो ठीक रही, और इस स्थिति में प्रसव सदैव जटिलताओं से भरा होता है परन्तु रोगी ने रिस्पांस दिखाया। कॉम्प्लीकेशन्स में स्ट्रोक, अचानक मृत्यु, हृदय गति रुकना आदि हैं। रोगी अच्छी तरह से ठीक हो गई और अब अपने मातृत्व का आनंद ले रही है।
डॉ. मयूरेश प्रधान ने कहा, “वह एओर्टोआर्टेराइटिस (Aortoarteritis) नामक एक दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त थीं और उनके शरीर के निचले भाग में खून की आपूर्ति करने वाली आर्टरीज बहुत ज़्यादा सिकुड़ी हुई थी। इस कारण, निचले शरीर को रक्त की आपूर्ति बहुत ही कम हो रही है। सामान्यतः ऐसी स्थिति होने पर रोगियों को गर्भपात की सलाह दी जाती है परन्तु इस रोगी ने गर्भावस्था को जारी रखने का फैसला किया। ऐसे रोगियों को सिजेरियन सेक्शन की आवश्यकता होती है और सामान्य डिलीवरी नहीं हो पाती।
उन्होंने आगे कहा की, ऐनेस्थीसिआ देना चुनौतीपूर्ण होता है और ऊपरी तथा निचले अंगों के ब्लड प्रेशर की एक साथ निगरानी की आवश्यकता होती है जिससे कि शरीर के निचले भाग में अच्छा ब्लड फ्लो बना रहे। बच्चे के जन्म के बाद ऐसे रोगी की ह्रदय गति रुक सकती है। सर्जरी ठीक रही और अब रोगी को आर्टरीज के सिकुड़न के ट्रीटमेंट की आवश्यकता होगी जिसे चिकित्सकीय भाषा में ‘कोआरक्टेशन ऑफ़ एओर्टा’ (Coarctation of Aorta) कहा जाता है।
रोगी ने कहा “मुझे पता है कि यह मेरे जीवन को जोखिम में डाल सकता था लेकिन माँ बनने की ख़ुशी मेरे लिए उससे कहीं अधिक desireable थी। मुझे वॉकहार्ट अस्पताल में सही सहयोग और देखभाल मिली।