पी.एल.चतुर्वेदी “लाल”
मुंबई का उत्तर पश्चिमी प्रवेश द्वार, जो आज मीरा भाईंदर महानगर के रूप में जाना जाता है, चालीस साल पहले बहुत ही पिछड़ा था। जन सुविधाओं का नितांत अभाव था। नयी आबादी आ रही थी, जनता संगठित नहीं थी, भय का माहौल था, ग्राम पंचायतों के पास फण्ड का अभाव था और सरपंच अशिक्षित थे| राजनीति के नाम पर कांग्रेस ही पदासीन थी, शिवसेना की कुछ शाखायें थी, वे भी बंद रहती या हफ्ता वसूली के लिये बदनाम थी | मीरा रोड़ तो पूरी तरह से वीरान था, सिर्फ खेती होती थी। भाईंदर पूर्व का उससे भी बुरा हाल था| करीब एक घंटे में एक लोकल ट्रेन आती थी, यात्री जानवरों की तरह ठुस कर सफर करने को मजबूर थे, पानी भी टैंकरों से आता, बिजली की आँखमिचौली, गंदगी, मच्छरों के साम्राजय से जनता परेशान थी|

संघर्ष सेवा समिति, भायंदर के अध्यक्ष एवं ‘ क्रांतिकारी नेता ‘ गौतम जैन ने रेल्वे स्टेशन के समीप 30 जनवरी 1985 को आमरण अनशन शुरू किया, जनता ने उसे पूर्ण समर्थन दिया और सरकार की अनदेखी व अधिकारियों के कठोर बर्ताव के कारण 5 फरवरी 1985 को रेल रोको आंदोलन किया गया। जब बार-बार अनुरोध और भूख हड़ताल अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने में विफल रही, तो प्रदर्शनकारियों ने इस मुद्दे को उजागर करने के लिए दिल्ली-मुंबई राजधानी एक्सप्रेस को रोक दिया। राजधानी जैसी प्रतिष्ठित ट्रेन को पकड़ना तत्कालीन राजनीतिक आकाओं को स्पष्ट रूप से नाराज कर गया था और प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ गई थी।
इसमें अनेक नागरिकों को गिरफ्तार किया गया. अनेकों पर लाठी चार्ज करके घायल किया गया और पुलिस ने सीधे गोली चलाकर अनेकों निर्दोष नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया| आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 12 प्रदर्शनकारियों की जान चली गई जब पुलिस ने आंदोलन को शांत करने के लिए गोलियां चलाईं, मृतकों में से सात की पहचान की गई जबकि पांच अज्ञात रहे।
शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि
उन्हीं जन आंदोलन के शहीदों की याद में हर वर्ष ५ फ़रवरी को शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की जाती है। इस वर्ष भी उसे अंजाम दिया गया। इस मौके पर सर्वश्री गौतम जैन, वरिष्ठ पत्रकार व मंच संचालक देवेंद्र पोरवाल, सीनियर रिपोर्टर एवं लेखक एस. एस. राजू, बीजेपी के मंडल अध्यक्ष उपेंद्र सिंह ‘वत्स’, भाजपा जिल्हा कार्यालय प्रमुख योगेश्वर चतुर्वेदी “योगीजी”, अन्याय विरोधी संघर्ष समिति के अध्यक्ष एवं स्पेशल क्राइम रिपोर्टर सुभाष पांडेय, युवा नेता संजय जैन, कर्मठ समाजसेवक लक्ष्मीचंद टाटिया, ज़नाब अज़ीज़ अहमद, आदि अनेक साथी उपस्थित रहे |
5 फरवरी 1985 ‘रेल रोको आंदोलन’ के दौरान शहीद हुए 7 नागरिकों के नाम इस प्रकार हैं 1) बसंत बाबूलाल शाह, 2) दत्ताराम तात्या आबे, 3) हितेश सी. पारिख, 4) एल.के.शाह, 5) रशीद मियां, 6 ) मेघराज एन. जाधव एवं 7) प्रणिलाल शाह।
इन शहीदों के आंदोलन और बलिदान ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया और धीरे-धीरे रेल संबंधी बुनियादी सुविधाओं में वृद्धि के साथ-साथ लोकल ट्रेनों की आवृत्ति में वृद्धि हुई। आज एक मैन स्टेशन होने के अलावा, लोकल ट्रैन की फ्रीक्वेंसी 5 मिनट पर है।
आज हम इन्हें ही मीरा – भाईंदर के विकास के शंखनाद की रूप में मानते हुए भावपूर्ण श्रृद्धांजलि अर्पित करते हैं|
नोट: लेखक भी इस जन आंदोलन से जुड़े हुए थे और एक सीनियर पत्रकार हैं.