शिया समाज की ओर से रविवार को इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से रजब की 13 तारीख को अली डे (Ali Day) और यौम ए पिदर (फादर’ज़ डे, Father’s Day) मनाया गया। जिसमें मुसलमानों के आखिरी नबी हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (सअवव) के दामाद और कजिन भाई हजरत इमाम अली (अ.स)(Hazrat Ali a.s) का जन्मदिन ११० किलो का केक काट कर हैदरी जामा मस्जिद, नया नगर, मीरा रोड के सहन में मनाया गया।

शनिवार की रात को हजरत इमाम अली (अ.स) का जन्मदिवस बड़ी ही अकीदत के साथ मनाया गया। इस मौके पर अंजुमन ए हैदरी की तरफ से ११० किलो का केक काटा गया और नाश्ता बांटा गया। जगह-जगह सबीलें लगाई गई और अंजुमन ए सक़्क़ा ए सक़ीना की तरफ से नजर नियाज का एहतमाम किया गया। ११० किलो के केक के ऊपर इमाम हजरत अली (अ.स) के तक़रीबन १०० लक़ब (उपनाम) भी लिखवाये थे। तिलावत ए क़ुरान ए पाक से प्रोग्राम की शुरुवात हुई और लोगों ने अपने अपने तरीके से नज़राने अकीदत पेश किये। मौलाना हसन इमाम (इमाम ए जुम्मा वल जमात ) ने तकरीर की और केक काटा। ११० किलो का केक इसलिए की अरबी नुमेरोलॉजी में अली के नाम की संख्या ११० आती है।
इस मौके पर शिया मुस्लिम समुदाय ने इमामबारगाहों और अपने घरों पर शमा रोशन करके चरागां किया और नज़्र ओ नियाज़ का एहतेमाम किया। मीरा रोड के अलावा डोंगरी,पालागली, ज़ैनबीआ, मालवणी,बांद्रा,गोवंडी, कुर्ला, मुंब्रा में जश्न का माहौल रहा। बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने शमा रोशन करके चरागां किया और नजर नियाज में शरीक होकर देश की खुशहाली एवं अमन चैन की दुआ मांगी। इस मौके पर गुलाब के फूलों से लिखा या अली और या अली के आकार में जलाई गई मोमबत्तियां अकीदतमंदों का मुख्य आकर्षण रहा।
लोगों ने क्या कहा
हैदरी जामा मस्जिद ट्रस्ट के अध्यक्ष साजिद नक़वी और मौलाना हसन इमाम की अध्यक्षता में महफिल का आयोजन किया गया। जिसमें शायरों ने हजरत अली (अ.स) Hazrat Ali (a.s) की शान में कसीदे पढ़कर उनकी अजमत बयान की। मौलाना हसन इमाम ने इस मौके पर हजरत अली के इल्म, अजमत और शुजाअत को बयां करते हुए उनके उसूलों को अपनाने का पैगाम दिया। जश्न में बड़ी संख्या में अकीदतमंद शामिल हुए और एक-दूसरे को गले मिलकर मुबारकबाद दी। खादिमाने मासूमीन वेलफेयर फाउंडेशन ने हैदरी चौक पर केक काटकर राहगीरों को बाँटा।
हैदरी जामा मस्जिद ट्रस्ट के ज़ीशान रिज़वी ने बताया कि शियाओं के पहले इमाम इमामूल मुतकीन अमीरूल मोमिन शेरे खुदा हाजत रवां हजरत अली का जन्म आज के दिन मुसलमानों के पवित्र स्थल खाने काबा के बीचोबीच में हुआ था। ये आपकी फ़ज़ीलत है की आजतक हज़रत अली की सिवा कोई भी खाने काबा में ना पैदा हुआ है और न होगा । आपकी शहादत भी नजफ, इराक की मस्जिद ए कूफा में हुई। आपकी शादी हज़रत मोहम्मद(सअवव) की इकलौती बेटी फातमा जेहरा (स अ) से हुई थी। आपको इतिहास में दुनिया का सबसे बहादुर इंसान माना जाता है। शाम को शिया जामा मस्जिद में महफ़िल हुई।
धूमधाम से मनाया गया जश्न
मुसलमानों के चौथे खलीफा और शियों के पहले इमाम हजरत अली (अ.स) का जन्मदिन पूरी दुनिया में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। गौरतलब है कि, हर वर्ष इस्लामी महीने रजब की 13 तारीख को हजरत अली का जन्मदिन मनाया जाता है। इस मौके पर अंजुमन द्वारा हर वर्ष यह आयोजन किया जाता है।
शबाब शादाब नक़वी, जो हैदरी जामा मस्जिद और अंजुमन ए हैदरी के सदस्य भी है, ने कहा कि हजरत अली ( (Hazrat Ali) ने अपने जीवन में हमेशा जरूरतमंदों की मदद की और अपना जीवन सादगी से गुजारा। वह बच्चों से भी काफी प्रेम करते थे। आज इस शुभ अवसर पर उनके पद चिन्हों पर चलते हुए बच्चों को टॉफ़ी, केक समोसा और वेफर बांटें गए। साथ ही बच्चों को उपहार भी दिए गए।
अहमद अली, खदिमाने मोमिनीन के फाउंडर ने बताया कि कोविड की वजह से दो साल से हम ये जश्न सही से नहीं मना पा रहे थे। कोविड से पहले बच्चों के लिए मेले का भी इंतज़ाम किया जाता था।